विडंबना
हे खुदा ! ये कैसा मंज़र दिखा दिया ,
इंनसानों ने जीवन रक्षकों को मौत का जिंमेवार ठहरा दिया ।
जब तक थे जिंदा , तब तक तो उनहोंने हमारी सेवा की थी ,
लेकिन कुछ असपतालों ने गददारी भी तो की थी।
कुछ सालों पहले प्रदुषित किया था जिस प्रकृति को ,
अब हम बेबस खड़े , नहीं बचा पा रहे मनुष्य जाति को ।
शमशान घाट में रोज सैंकड़ों शव जलाए जा रहें हैं ,
वहीं कुछ अभिनेता देश-विदेश घूमे जा रहें हैं ।
लेकिन कुछ देव-दूत अभी भी मदद करने के लिए त्यार हैं ,
वहीं कुछ कप्टी लोग इसका भी व्यापार करने के लिए त्यार हैं
नेताओं के लिए म्हामारी से ज्यादा महत्पूणॅ चुनाव हैं ,
वहीं बच्चे, बुड़े , बड़ों में तनाव है ।
यह समय भी बीत जाएगा ,
हाँ ! कोरोना थोड़ा सा और रुलाऐगा ,
यदि हिम्मत से काम लेंगे तभी कुछ हो पाएगा ।।
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